एनआरआई महिला की करोड़ो की भूमि के फर्जी दस्तावेज बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़
देहरादून। इंग्लैंड निवासी एनआरआई महिला की करोड़ो की भूमि के फर्जी दस्तावेज बनाने वाले गिरोह का दून पुलिस ने भंडाफोड़ करते हुए 3 शातिर आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
दून में कई जमीनो के कूटरचित विलेख व अन्य प्रपत्रों को तैयार कर उन्हे रजिस्ट्रार कार्यालय मे संबंधित रजिस्टरों में फर्जी व्यक्तियो के नाम पर दर्ज कर जमीनों की खरीद फरोख्त का फर्जीवाड़ा प्रकाश में आने पर अब तक कई मुकदमें दर्ज कराए जा चुके है। प्रकरण में अब तक 13 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, जिनसे पूछताछ में जमीनो के फर्जीवाडे में और भी आरोपियों के नाम प्रकाश में आ रहे है।
शुक्रवार को गिरफ्तार आरोपी अजय मोहन पालिवाल से गहन पूछताछ में यह बात प्रकाश में आयी कि आरोपी फॉरेन्सिक एक्सपर्ट था जिसने आरोपी कमल बिरमानी, केपी सिंह आदि के साथ मिलकर कई जमींनो के फर्जी विलेख पत्रों में फर्जी राइटिंग एवं हस्ताक्षर बनाए थे, जिसका प्रयोग कर आरोपियों द्वारा फर्जी तरीके से जमीनो को बेच कर करोड़ो रूपये कमाए गए। पूछताछ में अजय मोहन पालीवाल द्वारा केपी सिंह के कहने पर एक एनआरआई महिला रक्षा सिन्हा की राजपुर रोड पर स्थित भूमि के कूटरचित विलेख पत्र रामरतन शर्मा के नाम से बनाकर देहरादून निवासी ओमवीर व मुजफ्फर नगर निवासी सतीश व संजय को को दिए जाने की बात बताई थी। अजय मोहन पालीवाल के बयानों को तस्दीक करने पर ज्ञात हुआ कि राजपुर रोड मधुबन होटल के सामने एनआरआई महिला रक्षा सिन्हा की करीब दो ढाई बीघा भूमि है, जिसके कूटरचित दस्तावेजो को रजिस्ट्रार कार्यालय में लगा देने के संबंध में सहायक महानिरीक्षक निबंधन द्वारा कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिसकी जांच एसआईटी टीम द्वारा की जा रही है। अजय मोहन पालीवाल के बयानों के आधार पर एसआईटी टीम द्वारा ओमवीर, सतीश व संजय को गिरफ्तार कर लिया है।
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ओमवीर का जमीनो के फर्जीवाड़े का आपराधिक इतिहास
आरोपियों से पूछताछ करने पर प्रकाश में आया कि ओमवीर का पूर्व से ही जमीनो के फर्जीवाड़े का आपराधिक इतिहास रहा है तथा पूर्व में कई विवादित जमीनो में भी इसकी संलिप्ता रही है। ओमवीर की जान पहचान सहारनपुर निवासी केपी सिंह से थी तथा ओमवीर भी देहरादून में विवादित व खाली पड़ी जमीनो पर नजर रखता था। ओमवीर की नजर राजपुर रोड मधुबन के पास स्थित दो-ढाई बीघा जमीन पर पड़ी जिसके संबंध में जानकारी करने पर उसे पता चला कि जमीन विदेश में रहने वाली एनआरआई महिला रक्षा सिन्हा के नाम पर है, जो काफी वर्षों से देहरादून नहीं आई है, ओमवीर ने रक्षा सिन्हा की पूरी जानकारी निकाली तो उसे पता चला कि रक्षा सिन्हा के पिता पीसी निश्चल देहरादून में ही रहते थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है ।
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आरोपियों ने 3 करोड़ 10 लाख में सौदा तय कराया
केपी ने जमीन को उत्तराखंड के बाहर किसी बुजुर्ग व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड विलेख पत्र के माध्यम से करा देने का आश्वासन दिया परन्तु इसके लिए ओमवीर को किसी बाहरी बुजुर्ग व्यक्ति को लाने की जिम्मेदारी दी गई। ओमवीर ने अपने परिचित सतीश के माध्यम से उसके दोस्त संजय, जो की मुजफ्फरनगर का रहने वाला है ,के पिता रामरतन शर्मा के नाम पर भूमि के फर्जी विलेख पत्र केपी सिह के माध्यम से तैयार करवाए गए तथा भूमि को सन् 1979 में पीसी निश्चल से राम रतन के नाम क्रय-विक्रय करना दिखाया गया। इसके पश्चात इसके पश्चात ओमवीर द्वारा प्रॉपर्टी को मार्केट में बिकने के लिए उतार दिया। पूर्व से ही इस प्रॉपर्टी की अच्छी जानकारी रखने वाले देहरादून निवासी मनोज तालीयान को प्रॉपर्टी के संबंध में जानकारी होने पर इनके द्वारा राम रतन शर्मा व इनके बेटे संजय शर्मा से मुजफ्फर नगर में मिलकर जमीन का सौदा ग्रीन अर्थ सोलर पावर लिमिटेड से 3 करोड़ 10 लाख में सौदा तय कराया तथा एग्रीमेन्ट का 1 करोड़ 90 लाख रूपये संजय सिंह को दिये, जिसमें से पूर्व में तय अनुसार संजय सिंह को 66 लाख और ओमवीर को 96 लाख व सतीश को 38 लाख के करीब की धनराशि मिली। इससे पूर्व विवाद का हल होता देहरादून में विभिन्न जमीनो के फर्जी विलेख तैयार करने का मामला उजागर हो गया।