इस मामले से जुड़े तीन लोगों की मौत पर पुलिस पहले ही संदेह जता चुकीमृतक का गठजोड़ फर्जीवाड़े में शामिल देहरादून के वकील कमल वीरमानी से था
देहरादून। सहारनपुर जेल में बंद देहरादून में हुए रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड केपी सिंह की गुरुवार को मौत हो गई। जेल प्रशासन ने मौत को सामान्य बताया है। सुबह केपी की तबीयत बिगड़ने पर पहले उसे जेल के चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। वहां से उसे एसबीडी जिला अस्पताल रेफर किया गया। जहां उसकी मौत हो गई।
बता दें कि पिछले दिनों पुलिस केपी सिंह को बी वारंट पर देहरादून लेकर आई थी। इसके बाद उसे वापस सहारनपुर जेल भेज दिया गया था। केपी सिंह कई बड़ी जमीनों के फर्जीवाड़े में शामिल रहा है। उसका गठजोड़ फर्जीवाड़े में शामिल देहरादून के वकील कमल वीरमानी से था।
केपी सिंह की इस तरह अचानक हुई रहस्यमयी मौत से कई सवाल खड़े हुए हैं। इससे पहले इस मामले से जुड़े तीन लोगों की मौत पर पुलिस पहले ही संदेह जता चुकी है। इससे पहले तीन बाइंडर की बीते चार सालों में मौत हुई है। दो की शराब पीने और एक का एक्सीडेंट हुआ था। पुलिस ने जब इन मौतों का कारण जानने को जांच की तो पता चला कि तीनों में से किसी का भी पोस्टमार्टम नहीं कराया गया था। अब केपी सिंह की जेल में मौत सामान्य बताई जा रही है। यह किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं है इसके सवाल पुलिस को ढूंढना चुनौती से कम नहीं है। इस मामले में अब तक 17 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमे से केपी सिंह भी एक था। पिछले दिनों जब केपी सिंह की देहरादून पुलिस ने तलाश शुरू की थी तो वह नाटकीय ढंग से पुराने मामले में जमानत तुड़वाकर जेल चला गया था। केपी के खिलाफ सहारनपुर में भी मुकदमा दर्ज था। जबकि वह देहरादून के दो मुकदमों में नामजद था।
फर्जी रजिस्ट्री तैयार करता था केपी
देहरादून। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का रहने वाला है और कथित तौर पर केपी के आदेश के अनुसार फर्जी रजिस्ट्री दस्तावेज तैयार करता था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने कहा कि मूल दस्तावेजों को कथित तौर पर नष्ट कर दिया गया और रजिस्ट्री कार्यालय में रख दिया गया। उन्होंने बताया कि एसआईटी ने रजिस्ट्री घोटाला मामले में अब तक कुल 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें वकील कमल विरमानी और केपी सिंह जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं और गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के दौरान चंद्रा का नाम सामने आया था. जांच के दौरान पता चला कि चंद्रा 2014 तक केपी सिंह के हल्दी और जड़ी-बूटियों के कारोबार में क्लर्क के रूप में काम करता था। एसएसपी ने कहा, “चंद्र ने जांच के दौरान पुलिस को बताया कि केपी सिंह ने आठ साल पहले उससे कहा था कि वह ऐसा करना चाहता है।” विवादित संपत्ति खरीदने और बेचने का काम करें जिसमें उसे भारी मुनाफा हो सकता है। उन्होंने कहा कि केपी मेरठ और दिल्ली जैसे विभिन्न शहरों से पुराने खाली कागज और स्टांप लाता था। वह चंद्रा और मांगे राम नाम के एक अन्य व्यक्ति, जो अब मर चुका है, से उन कोरे कागजों पर पुरानी संपत्ति के दस्तावेजों की नकल बनवाता था। वे पुराने स्टांपों और कोरे कागजों पर लिखे दस्तावेजों की हूबहू नकल करके फर्जी डीड तैयार करते थे, जैसा कि केपी द्वारा लाए गए मूल संपत्ति दस्तावेजों में लिखा होता था। बाद में केपी मूल कागजात को फाड़कर और जलाकर नष्ट कर देता था।
एडवोकेट इमरान व केपी मिलकर करते थे काम
देहरादून। इमरान में इमरान ने पुलिस को बताया कि अन्य सहयोगियों के माध्यम से उसकी मुलाकात सहारनपुर निवासी केपी सिंह (कुंवरपाल सिंह) से हुई थी। इमरान रजिस्ट्रार कार्यालय में नियुक्त अजय के साथ मिलकर खाली पड़ीं विवादित जमीनों के कागजात जिल्द फाइलों से निकालकर केपी सिंह को देता था। इसके बाद केपी सिंह अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर उन कागजातों की फर्जी रजिस्ट्रियां बनाकर उनकी प्रतियां उन्हीं फाइलों में अजय के माध्यम से लगवा देते थे।
अजय ने बताया कि वह केपी सिंह के संपर्क में काफी समय से था। केपी ने उसे लालच दिया था, जिसके कारण वह रिकॉर्ड रूम से बरसों पुरानी जिल्द फाइलों से निकालकर उन्हें देता था और फिर फर्जी जिल्द उन फाइलों में लगा देता था। इसके बाद केपी, इमरान व उसके अन्य सहयोगी संबंधित भूमियों पर कब्जा कर विभिन्न प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से बेच देते थे। जिसका मुनाफा वे आपस में बांट लेते थे।