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40 जिंदगी बचाने का पीएमओ का बड़ा कदम

देहरादून। यमुनोत्री हाईवे के सिलक्यारा बैंड निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 40 लोगों को निकालने का रेस्क्यू सेना ने अपने हाथों में ले।लिया है। सेना का सबसे भारी मालवाहक जहाज हरक्यूलस सी-130 ने सुरंग की खुदाई के लिए आधुनिक मशीनों को चिन्यालीसौड़ एयरपोर्ट पर उतार दिया है। यहां से ग्रीन कॉरिडोर के जरिये मशीनें सिलक्यारा बैंड तक पहुंचाई जाएगी। इसके बाद आज देर रात से रेस्क्यू को युद्धस्तर पर शुरू करने की तैयारी की जा रही है। उम्मीद है कि सेना, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ समेत अन्य एजेंसी को मिशन में कामयाबी मिल जाएगी।
सिलक्यारा बैंड के पास निर्माणाधीन सुरंग में गत रविवार से काम कर रहे 40 मजदूर सुरंग में फंसे हैं। हादसे के बाद मजदूरों को सुरंग से निकालने के प्रयास चल रहे हैं। लेकिन कुछ न कुछ अड़चने आ रही है। मंगलवार को हरिद्वार और देहरादून से ऑगर मशीन यहां ड्रिल करने के लिए पहुंची थी। लेकिन यह मशीन आज अचानक खराब हो गई। इस पर सरकार ने सांसत में फंसे 40 लोगों को सुरक्षित निकालने को पीएमओ से संपर्क साधा। पीएमओ ने आज सेना को इस काम के लगाने के आदेश दिए हैं। इसके लिए सेना के अफसर और जवान चिन्यालीसौड़ पहुंच गए हैं। सेना ने एयरफोर्स के सबसे बड़े माल वाहक जहाज हरक्यूलस सी-130 से सुरंग में ड्रिल करने की आधुनिक मशीनें पहुंचा दी है। इसके लिए हरक्यूलस ने दो बार चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी में लैंडिंग की है। यहां से इन मशीनों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हादसे वाले स्थान सिलक्यारा पहुंचाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि देर शाम तक मशीनें पहुंच जाएगी। इसके बाद देर रात से काम शुरू होने की उम्मीदें की जा सकती हैं। बहरहाल सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत देश की बड़ी एजेंसियां यहां तैनात होने से सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को जल्द बाहर निकाला जा सकता है। इसके लिए अलग अलग प्लान पर काम चल रहा है।

इसलिए बन रही सिलक्यारा सुरंग

यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा बैंड और पोल गांव के बीच चारधाम प्रोजेक्ट से करीब 4 किमी सुरंग बन रही है। इससे हाईवे राड़ी टॉप से 20 किमी से ज्यादा कम हो जाएगा। बर्फबारी और बरसात के सीजन में सड़क बार बार बंद होने से यह सुरंग बनाई जा थी, जो चारधाम यात्रियों की मुसीबतें और गंगोत्री पहुंचने तक की लंबी दूरी को कम करेगी। पिछले कुछ सालों से इस सुरंग का निर्माण पोल गांव यानी बड़कोट की तरफ से चल रहा है। जबकि इन दिन सिलक्यारा बैंड से काम चल रहा था।

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