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मुजफ्फरनगर निवासी मांगे राम के नाम पर रिकॉर्ड रूम में चढ़ाए गए थे दस्तावेज

देहरादून। राजधानी के बहुचर्चित रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मामले में मुजफ्फरनगर के हिस्ट्रीशीटर को दून पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।
बता दें कि 15 जुलाई को सहायक महानिरीक्षक निबंधन व जिलाधिकारी की ओर से दी गई तहरीर के आधार पर कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया गया था। प्रकरण की विवेचना पुलिस अधीक्षक यातायात के नेतृत्व में गठित एसआईटी की ओर से की जा रही है। टीम की ओर से रजिस्ट्रार ऑफिस से जानकारी करते हुए रिंग रोड से संबंधित 30 से अधिक रजिस्ट्रियों का अध्ययन कर सभी लोगों से पूछताछ की तथा पूछताछ में कुछ प्रोपटी डीलर के नाम प्रकाश में आए जिनसे गहन पूछताछ में फर्जीवाड़े में कई लोगों के नाम प्रकाश में आए। गठित टीम की ओर से कई संदिग्धों के विभिन्न बैंक अकाउंट की भी जांच की गई जिसमें करोड़ो रूपयो का लेन-देन होना पाया गया। इन लोगों की ओर से बनाए गए दस्तावेजों को रजिस्ट्रार कार्यालय से प्राप्त करने पर कई फर्जीवाड़े का होना भी पाया गया। जिसके बाद पुलिस ने संतोष अग्रवाल, दीप चन्द अग्रवाल, मक्खन सिंह, डालचन्द, वकील इमरान अहमद, अजय सिंह क्षेत्री, रोहताश सिंह, विकास पांडे, कुंवर पाल उर्फ केपी, वकील कमल विरमानी को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों से विस्तृत पूछताछ में कई अन्य लोगों के नाम भी प्रकाश में आए थे जिनकी जिनकी तलाश में गठित टीम की ओर से लगातार दबिशें, पतारसी सुरागरसी कर रही है। पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर प्रकाश में आया कि राजपुर रोड जाखन में स्थित भू-स्वामी स्वरूप रानी की भूमि के भी विलेख कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर पूर्व की भांति तैयार कर मुजफ्फरनगर निवासी मांगे राम के नाम किए गए हैं और उन्हें भी रजिस्ट्रार रिकॉर्ड रूम में चढ़ाया गया। तत्पश्चात यह भूमि रेखा शर्मा से देहरादून निवासी कमल जिंदल को यह बेची गई। एसआईटी टीम ने दस्तावेजों की जांच के उपरांत 28 सितंबर 2021 की शाम को मुजफ्फरनगर के हिस्ट्रीशीटर विशाल कों गिरफ्तार किया गया।

जाखन चौकी प्रभारी को किया कार्यालय संबंद्ध

आरोपी के विरुद्ध ठोस कार्रवाई न करने पर लापरवाही बरतने पर एसएसपी अजय सिंह की ओर से जाखन चौकी प्रभारी सुमेर कुमार को तत्काल पुलिस कार्यालय अटैक कर दिया है। मीनाक्षी सूद के प्रार्थना पत्र की जांच उपरांत 5 मार्च को मुकदमा दर्ज किया गया जिसकी विवेचना उपनिरीक्षक सुमेर सिंह के सुपुर्द की गई। विवेचना के दौरान उच्च अधिकारियों की ओर से समय-समय पर विवेचक को विवेचना में ठोस कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए गए परंतु विवेचक की ओर से अधिकारी के निर्देशों को गंभीरता से ना लेते हुए व आरोपी विशाल के विरुद्ध धारा 467 /468 /471 को अलग करते हुए अभियोग में अंतर्गत धारा 420/120 में 7 जुलाई को आरोप पत्र प्रेषित किया गया। विवेचक ने आरोपी के विरुद्ध ठोस कार्रवाई न करने पर लापरवाही करने उप निरीक्षक को तत्काल पुलिस कार्यालय अटैच कर दिया।

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